कुछ सालों पहले एक बंगाली युवक कुछ बनकर दिखाने के लिए अपने हरे-भरे पश्चिम बंगाल से निकला और आ पहुँचा राजस्थान की मरुभूमि में। नाम था, दिवाकर सेन ......सपना था, धन-धान्य से भरे एक भरे-पूरे परिवार का। जो सोचा, सब पाया। करीब छह दशक पहले दिवाकर ने यहाँ जिस परिवार का पौधा रोपा, आज सेन परिवार के रूप में वो एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है। एक लंबे अर्से से मन में ये विचार पनपता रहा की क्यों न परिवार और परिजनों का विवरण किसी एक ऐसे स्थान पर हमेशा उपलब्ध रहे, जहाँ सबकी सामान रूप से पहुँच हो। कौन, कहाँ, किस हाल में है? यह पता चलता रहे, तो क्या बुरा है ? कोई अच्छा काम करना, कोई आसान काम नहीं होता, इसलिए लंबे समय तक यह विचार कोई ठोस आकार नहीं ले सका। समय-समय पर कुछ परिजनों ने प्रयास भी किए, लेकिन जानकारियां सबके लिए सामान भाव से सुलभ नहीं हो सकी।
अब कैसे होगा? परिवार की जानकारी दो स्तर पर होगी। एक स्तर सम सामयिक वर्तमान गतिविधियों और ताजा जानकारियों के लिए होगा, इसके लिए यह ब्लॉग माध्यम होगा। एक स्तर परिवार के इतिहास और वंशावली के लिए होगा, इसके लिए एक वेबसाईट बनाई जा सकती है।
इस काम को अंजाम कौन देगा? यह सवाल तो आज भी खड़ा है की कौन करेगा यह सब ? आज की आपाधापी में किसके पास इतना समय है ? और ये काम कोई अकेला करे, यह बहुत कठिन होगा, पर असंभव नहीं। कोई एक जना इतने बड़े परिवार का इतिहास अकेले अपने हिसाब से लिखे, यह भी उचित नहीं। फ़िर भी कोई तो शुरू करेगा ही और कई होंगे जो इस सिलसिले को आगे भी बढाएँगे। परिवार के बड़ों का आशीर्वाद और छोटों का सहयोग मिलेगा, इसी आशा के साथ फिलहाल मैंने यह काम हाथ में लिया है।
आन लाइन नेट पर क्यों? ये इसलिए, क्योंकि आन लाइन होने से यह सभी के लिए हर समय नेट पर उपलब्ध रहेगा और परिवार का कोई भी परिजन इसे अपडेट करने के लिए इस पर अपनी राय या टिप्पणी हाथों-हाथ दे सकेगा। इसे पुस्तक रूप में प्रकाशित कराने पर यह सुविधा नहीं मिल पाती।
हिन्दी में क्यों? परिवार के अधिकांश लोग इंग्लिश या बांगला के मुकाबले हिन्दी के ज्यादा करीब हैं। यह आसानी से समझ में आती है और समझाई जा सकती है। इसके बावजूद जिन्हें हिन्दी में असुविधा हो सकती है, उनके लिए सारी जानकारी रोमन (अंग्रेजी) और बांगला लिपि में भी उपलब्ध होगी।
इसका उद्देश्य क्या है ?
परिजनों की परिवार के प्रति सोच, उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही उनकी अपने परिजनों के साथ सकारात्मक संबंधों के लिए एक मंच मुहैया कराना।
कुटुंब को परिजनों की उपलब्धियों के बारे में बताना तथा अपेक्षाओं से अवगत कराना।
देशभर के विभिन्न शहरों में रह रहे सेन परिवार के सदस्यों का एक नेटवर्क बनाना।
युवा पीढ़ी को परिवार की संस्कृति और रीति-रिवाजों से जोड़ना।
शेष शुभ........
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